“उत्तर प्रदेश में नए Agri-Tech केंद्र किसानों को आधुनिक खेती की तकनीक सिखा रहे हैं। ड्रोन, AI, और डेटा एनालिटिक्स से लैस ये केंद्र उत्पादकता बढ़ाने और लागत कम करने का वादा करते हैं। लेकिन क्या ये किसानों की आय दोगुनी करने में मदद करेंगे? जानें कैसे यूपी कृषि में क्रांति ला रहा है।”
यूपी में Agri-Tech क्रांति: किसानों के लिए नया दौर
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में किसानों के लिए कई Agri-Tech केंद्र स्थापित किए हैं, जो आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, IoT, AI, और डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से खेती को और अधिक उत्पादक और टिकाऊ बनाने का लक्ष्य रखते हैं। ये केंद्र विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को लक्षित करते हैं, जो भारत की कृषि अर्थव्यवस्था का 86% हिस्सा हैं। लखनऊ, कानपुर, और वाराणसी जैसे क्षेत्रों में शुरू हुए इन केंद्रों में किसानों को प्रेसिजन फार्मिंग, मिट्टी परीक्षण, और जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के उपयोग की ट्रेनिंग दी जा रही है।
केंद्र सरकार के Agri-Stack प्रोग्राम के तहत ये केंद्र डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं, जो किसानों को वास्तविक समय में मौसम, बाजार मूल्य, और इनपुट आपूर्ति की जानकारी प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, लखनऊ के एक केंद्र में ड्रोन आधारित कीटनाशक छिड़काव की ट्रेनिंग ने किसानों की लागत को 20% तक कम किया है। इसके अलावा, AI आधारित टूल्स मिट्टी की उर्वरता का तुरंत विश्लेषण कर रहे हैं, जिससे फसल की पैदावार में 15-25% की वृद्धि देखी गई है।
हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। कई किसानों को तकनीकी ज्ञान की कमी और शुरुआती निवेश की लागत बाधा बन रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को मुफ्त ट्रेनिंग और सब्सिडी पर ध्यान देना होगा। इसके बावजूद, ये केंद्र यूपी के 2.3 करोड़ किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आए हैं। अगले पांच वर्षों में इन केंद्रों का विस्तार 100 और जिलों में करने की योजना है।
Disclaimer: यह लेख नवीनतम समाचारों, सरकारी रिपोर्ट्स, और Agri-Tech विशेषज्ञों के विश्लेषण पर आधारित है। डेटा विभिन्न वेब स्रोतों और स्थानीय समाचारों से लिया गया है। तकनीकी सलाह लेने से पहले विशेषज्ञों से परामर्श करें।