“उत्तर प्रदेश सरकार ने सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 85 जल संचयन परियोजनाओं की शुरुआत की है, जिसमें नए तालाब और चेक डैम बनाए जा रहे हैं। इनसे 4.5 लाख हेक्टेयर भूमि को लाभ होगा, जिससे किसानों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा मिलेगी। यह पहल जलवायु परिवर्तन और कम बारिश के प्रभाव को कम करने में मदद करेगी।”
यूपी में जल संचयन: सूखे क्षेत्रों के लिए नई उम्मीद
उत्तर प्रदेश सरकार ने जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में राहत के लिए महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। वर्ष 2021-22 में, सरकार ने 31 सूखाग्रस्त जिलों सहित 4.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 85 जल संचयन परियोजनाओं की शुरुआत की। इन परियोजनाओं में नए तालाब, चेक डैम, और अन्य जल संरक्षण संरचनाएं शामिल हैं, जो बारिश के पानी को संग्रहित कर भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करेंगी।
ये परियोजनाएं केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और वाटरशेड योजना के तहत संचालित की जा रही हैं। प्रत्येक जिले में वाटरशेड सेल डेटा सेंटर (WCDC) और ग्राम पंचायत स्तर पर जल संग्रह समितियां बनाई गई हैं। इनके माध्यम से गांवों में जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है, ताकि बारिश का पानी बर्बाद न हो और सूखे के समय भी किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो।
पिछले एक दशक (2009-10 से 2018-19) में, उत्तर प्रदेश में 21,000 से अधिक जल संचयन संरचनाओं के निर्माण से 53,978 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित हुई है। इस नई पहल से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के कारण अनियमित बारिश और सूखे की मार झेल रहे क्षेत्रों में भी राहत मिलेगी।
तालाबों और चेक डैम के निर्माण से भूजल रिचार्ज होगा, जिससे कुओं और बोरवेल्स में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जहां कम बारिश के कारण खेती पर निर्भर किसान मुश्किलों का सामना करते हैं। इसके अलावा, ये संरचनाएं मिट्टी के कटाव को रोकने और बाढ़ के जोखिम को कम करने में भी मदद करेंगी।
स्थानीय समुदायों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है, ताकि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़े। ग्राम पंचायत स्तर पर बनाई गई समितियां यह सुनिश्चित करेंगी कि ये परियोजनाएं दीर्घकालिक रूप से प्रभावी रहें। सरकार का लक्ष्य है कि इन प्रयासों से न केवल जल संकट कम हो, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले।
Disclaimer: यह लेख सरकारी बयानों, जल संचयन परियोजनाओं पर उपलब्ध जानकारी, और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। यह सूचना और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर नवीनतम जानकारी प्राप्त करें।