“उत्तर प्रदेश की माइक्रोफाइनेंस स्कीम ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बना रही है। यह योजना छोटे व्यवसायों को ऋण, प्रशिक्षण और बाजार तक पहुंच प्रदान करती है, जिससे ग्रामीण महिलाएं और युवा नए अवसर तलाश रहे हैं। 2025 में इस स्कीम ने लाखों परिवारों की आय बढ़ाई, बेरोजगारी घटाई और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।”
उत्तर प्रदेश की माइक्रोफाइनेंस क्रांति: ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा
उत्तर प्रदेश सरकार की माइक्रोफाइनेंस स्कीम ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 2025 तक, इस योजना ने ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए लाखों रुपये के छोटे ऋण वितरित किए हैं। योजना के तहत, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को बैंकों से जोड़ा गया, जिससे बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध हुए। उदाहरण के लिए, लखनऊ और वाराणसी जैसे क्षेत्रों में SHGs ने स्थानीय उत्पादों जैसे हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि-आधारित व्यवसायों को बढ़ावा दिया।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में माइक्रोफाइनेंस स्कीम के तहत उत्तर प्रदेश में 2.5 लाख से अधिक SHGs को वित्तीय सहायता प्रदान की गई, जिससे लगभग 30 लाख परिवार लाभान्वित हुए। योजना ने न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित भी किया। बस्ती की राधिका देवी ने इस स्कीम के तहत ऋण लेकर एक मसाला निर्माण इकाई शुरू की, जिससे उनकी मासिक आय 8,000 रुपये से बढ़कर 25,000 रुपये हो गई।
इसके अतिरिक्त, योजना के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम और बाजार लिंकेज प्रदान किए जा रहे हैं। NABARD और Uttar Pradesh State Rural Livelihood Mission (UPSRLM) के सहयोग से, उद्यमियों को डिजिटल मार्केटिंग, गुणवत्ता नियंत्रण और ब्रांडिंग जैसे कौशल सिखाए जा रहे हैं। हालांकि, चुनौतियां भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे सड़क और इंटरनेट कनेक्टिविटी, व्यवसायों के विस्तार में बाधा डाल रही है। इसके अलावा, वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण कुछ उद्यमी ऋण प्रबंधन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए डिजिटल साक्षरता और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने की योजना बनाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्कीम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और बेरोजगारी कम करने में गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
Disclaimer: यह लेख उत्तर प्रदेश की माइक्रोफाइनेंस स्कीम और ग्रामीण उद्यमिता पर आधारित है। जानकारी सरकारी आंकड़ों, NABARD की रिपोर्ट्स और हाल के अध्ययनों पर आधारित है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे ऋण लेने से पहले शर्तों और नियमों की जांच करें।