यूपी में 100% गाँव विद्युतीकरण: क्या है सच्चाई?

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“उत्तर प्रदेश ने 100% गाँव विद्युतीकरण का दावा किया, लेकिन क्या हर घर तक बिजली पहुँच रही है? सौभाग्य योजना और DDUGJY के तहत यूपी ने बड़ी प्रगति की, फिर भी कई गाँवों में बिजली की गुणवत्ता और विश्वसनीयता चुनौती बनी हुई है। जानें ताजा आँकड़े और ग्रामीण भारत की वास्तविक स्थिति।”

यूपी में गाँव विद्युतीकरण: कितना सच, कितना अधूरा?

उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि राज्य के सभी गाँवों में विद्युतीकरण पूरा हो चुका है। केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे देन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY) और सौभाग्य योजना के तहत 2018 तक सभी गाँवों में बिजली की पहुँच सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया था। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, 28 अप्रैल 2018 तक देश के सभी 18,374 बसे हुए गाँवों में बिजली पहुँच गई थी, जिसमें यूपी का योगदान महत्वपूर्ण रहा। यूपी में 2018 तक लगभग 47 लाख ग्रामीण परिवारों को सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन दिए गए।

हालाँकि, ‘100% विद्युतीकरण’ का दावा पूरी तरह सच नहीं है। सरकारी परिभाषा के अनुसार, किसी गाँव को विद्युतीकृत तब माना जाता है, जब वहाँ कम से कम 10% घरों में बिजली कनेक्शन हो, साथ ही सार्वजनिक स्थानों जैसे स्कूल, पंचायत कार्यालय और स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली उपलब्ध हो। इसका मतलब यह है कि कई गाँवों में बड़ी संख्या में घर अभी भी बिजली से वंचित हैं। यूपी में 2018 तक 27% ग्रामीण परिवार (लगभग 90 लाख) बिना बिजली के थे।

बिजली की गुणवत्ता और विश्वसनीयता भी बड़ी चुनौती है। यूपी में 2017-18 में बिजली की माँग और आपूर्ति में 10.9% की कमी थी, जो देश के औसत (2%) से पाँच गुना अधिक थी। कई गाँवों में बिजली आपूर्ति दिन में केवल 12 घंटे या उससे कम समय के लिए होती है। उदाहरण के लिए, उन्नाव के सरवारा गाँव में ग्रामीणों ने बताया कि बिजली कनेक्शन तो मिला, लेकिन आपूर्ति अनियमित है।

सौभाग्य योजना के तहत यूपी ने तेजी से प्रगति की, लेकिन लागत और बिल भुगतान की समस्या बनी हुई है। कई गरीब परिवार मासिक बिलों का खर्च वहन नहीं कर पाते, जिसके कारण वे कनेक्शन लेने से हिचकते हैं। इसके अलावा, बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) की वित्तीय स्थिति खराब होने से बुनियादी ढाँचे के रखरखाव और विस्तार में बाधा आती है। 2016 तक यूपी की डिस्कॉम्स को 21,486 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण विद्युतीकरण का असली लक्ष्य केवल कनेक्शन देना नहीं, बल्कि 24×7 विश्वसनीय और किफायती बिजली सुनिश्चित करना है। इसके लिए डिस्कॉम्स की वित्तीय स्थिति सुधारने, बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा पर जोर देने की जरूरत है। सौभाग्य योजना के तहत कुछ गाँवों में सौर-आधारित सिस्टम लगाए गए हैं, लेकिन ग्रिड-आधारित बिजली पर अधिक ध्यान दिया गया है।

यूपी में विद्युतीकरण ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दी है। बिजली की उपलब्धता से छोटे व्यवसाय, जैसे राइस मिल्स और पोल्ट्री फार्म, शुरू हुए हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं। फिर भी, असमान बिजली वितरण और क्षेत्रीय असंतुलन (उदाहरण के लिए, यूपी, बिहार जैसे राज्यों में अधिक समस्याएँ) लक्ष्य को पूरी तरह हासिल करने में बाधक हैं।

Disclaimer: यह लेख ताजा समाचारों, सरकारी आँकड़ों और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। जानकारी को विभिन्न वेब स्रोतों से एकत्र किया गया है, और यह ग्रामीण विद्युतीकरण की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है।

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