“रिवरसाइड के नए ईवी डिपो में XCharge के GridLink चार्जर्स लागत कम करने का वादा करते हैं। ये चार्जर्स ऑफ-पीक घंटों में बिजली स्टोर कर दिन में उपयोग करते हैं, जिससे ऊर्जा खर्च घटता है। भारत में भी ऐसी तकनीक की मांग बढ़ रही है, जो ईवी अपनाने को बढ़ावा दे सकती है।”
रिवरसाइड में XCharge GridLink चार्जर्स ने बदली ईवी चार्जिंग की तस्वीर
रिवरसाइड, कैलिफोर्निया में Gateway Fleets द्वारा संचालित एक नए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग डिपो में XCharge North America ने दो डुअल-डिस्पेंसर GridLink चार्जर्स स्थापित किए हैं। ये चार्जर्स मध्यम-क्षमता वाले फ्लीट्स और स्वतंत्र FedEx ऑपरेटरों की जरूरतों को पूरा करते हैं। GridLink चार्जर्स में इनोवेटिव लोड-मैनेजमेंट तकनीक है, जो ऑफ-पीक घंटों में बिजली स्टोर करती है और दिन में 430 kWh की ऊर्जा सप्लाई करती है। इससे पीक डिमांड चार्जेस से बचा जा सकता है, जिससे चार्जिंग लागत में उल्लेखनीय कमी आती है। XCharge NA के सह-संस्थापक और प्रेसिडेंट आतिश पटेल ने कहा, “यह साझेदारी दिखाती है कि ईवी चार्जिंग कितनी उन्नत हो चुकी है। हम चार्जिंग को अधिक किफायती और व्यावहारिक बना रहे हैं।”
भारत में ईवी चार्जिंग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत का ईवी चार्जिंग मार्केट 2024 में 787.3 मिलियन डॉलर का था और 2030 तक इसके 5695.6 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। AC चार्जर्स, जो लागत में किफायती हैं, भारत में 82% मार्केट शेयर रखते हैं। हालांकि, DC फास्ट चार्जर्स की मांग भी बढ़ रही है, खासकर शहरी और हाईवे क्षेत्रों में। बेंगलुरु में Charge Zone द्वारा स्थापित भारत का सबसे बड़ा ईवी चार्जिंग हब, जिसमें 210 से अधिक चार्जिंग पॉइंट्स हैं, इसका उदाहरण है।
XCharge की GridLink तकनीक भारत जैसे बाजारों के लिए प्रासंगिक हो सकती है, जहां ग्रिड की क्षमता सीमित है। यह तकनीक न केवल लागत कम करती है, बल्कि ग्रिड पर दबाव को भी कम करती है। भारत में उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में चार्जिंग स्टेशनों के लिए सब्सिडी की घोषणा की है, जिसमें उपकरणों के साथ-साथ ग्रिड अपग्रेड और ट्रांसफॉर्मर जैसे अपस्ट्रीम इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत भी शामिल है। यह नीति ईवी चार्जिंग को और सुलभ बना सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि XCharge जैसी तकनीकों का भारत में उपयोग न केवल चार्जिंग लागत को कम करेगा, बल्कि शहरी गतिशीलता और लास्ट-माइल डिलीवरी को भी बढ़ावा देगा। बेंगलुरु और दिल्ली जैसे शहरों में, जहां ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, ऐसी तकनीकें इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति को और तेज कर सकती हैं।
Disclaimer: यह लेख हाल के समाचारों, वेब आधारित जानकारी, और विशेषज्ञ विश्लेषण पर आधारित है। डेटा और तथ्य विश्वसनीय स्रोतों से लिए गए हैं, लेकिन पाठकों को स्वतंत्र रूप से जानकारी की पुष्टि करने की सलाह दी जाती है।